राष्ट्रीय बाघ परियोजना
बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु
है । बाघों की संख्या में हो रही कमी से पारिस्थितकीय का संतुलन बिगड़ सकता है।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए 1969 में ‘अंतर्राष्ट्रीय एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ (IUCN) के 10वें अधिवेषन कि बाघों को संपूर्ण
सुरक्षा दिए जाने का निर्णय लिया
गया |
भारत में बाघों के संरक्षण की दिषा में प्रथम बार 70 के दषक में गंभीरतापूर्वक विचार किया गया । ‘भारतीय वन्यपशु समिति’ के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ कर्ण सिंह ने 1 अप्रैल 1973 कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान में बाघ परियोजना का शुभारंभ किया । प्रारंभ में इसके लिए 9 राज्यों में एक-एक अभ्यारण्य को चुना गया ।
बाघ परियोजना के प्रारंभिक उद्देष्य:-
1. बाघों की संख्या में वृद्धि तथा संरक्षण करना ।
2. उद्यानों को संरक्षण प्रदान करना तथा उन्हें पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करना ।
बाघ परियोजना के लागू होने के बाद बाघों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है । 1972 में, जब यह परियोजना शुरू की गई थी, तब बाघों की संख्या मात्र 1872 रह गई थी । किंतु वर्तमान में यह संख्या बढ़कर लगभग 6500 हो गई है । सबसे अधिक बाघ संरक्षित क्षेत्र मध्य प्रदेश में होने के कारण इसे ‘टाइगर राज्य’ कहा जाता है ।
बाघ संरक्षण परियोजना के द्वितीय चरण में बाघों के संरक्षण के साथ-साथ भारत की समृद्ध जैव-विविधता को भी बनाये रखने पर जोर दिया गया है । ‘बाघ-संकट कोष’ का गठन किया है ।
भारत में बाघों के संरक्षण की दिषा में प्रथम बार 70 के दषक में गंभीरतापूर्वक विचार किया गया । ‘भारतीय वन्यपशु समिति’ के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ कर्ण सिंह ने 1 अप्रैल 1973 कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान में बाघ परियोजना का शुभारंभ किया । प्रारंभ में इसके लिए 9 राज्यों में एक-एक अभ्यारण्य को चुना गया ।
बाघ परियोजना के प्रारंभिक उद्देष्य:-
1. बाघों की संख्या में वृद्धि तथा संरक्षण करना ।
2. उद्यानों को संरक्षण प्रदान करना तथा उन्हें पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करना ।
बाघ परियोजना के लागू होने के बाद बाघों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है । 1972 में, जब यह परियोजना शुरू की गई थी, तब बाघों की संख्या मात्र 1872 रह गई थी । किंतु वर्तमान में यह संख्या बढ़कर लगभग 6500 हो गई है । सबसे अधिक बाघ संरक्षित क्षेत्र मध्य प्रदेश में होने के कारण इसे ‘टाइगर राज्य’ कहा जाता है ।
बाघ संरक्षण परियोजना के द्वितीय चरण में बाघों के संरक्षण के साथ-साथ भारत की समृद्ध जैव-विविधता को भी बनाये रखने पर जोर दिया गया है । ‘बाघ-संकट कोष’ का गठन किया है ।
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